*क्षत्रिय*
सभी क्षत्रिय घाँची समाज के भाइयो आप भी जाने की क्षत्रिय कौन होता है क्षत्रिय क्या है ? हम क्षत्रिय घाँची क्यों लिखते है
क्षत्रिय का मतलब क्षति से जो समाज की रक्षा करे वो क्षत्रिय
*शौर्यंतेजा धृतिर्दाक्ष्यं युद्वे चाप्यपलायनम्।*
*दानमीश्वरभाववश्रच् क्षात्रं कर्म स्वभावजम्।।*
शूरवीरता, तेज, धैर्य, चतुरता और युद्ध में से न भागना, दान देना और स्वाभिमान - ये सब के सब ही क्षत्रिय के स्वाभाविक कर्म हैं ।।
*क्षत्रिय वंश की शाखाएं* (kshatriya branches)
*दस रवि से दस चन्द्र से, बारह ऋषिज प्रमाण*
*चार हुतासन सों भये , कुल छत्तिस वंश प्रमाण*
*भौमवंश से धाकरे टांक नाग उनमान*
*चौहानी चौबीस बंटि कुल बासठ वंश प्रमाण*.”
अर्थ:-दस सूर्य वंशीय क्षत्रिय, दस चन्द्र वंशीय, बारह ऋषि वंशी एवं चार अग्नि वंशीय कुल छत्तिस क्षत्रिय वंशों का प्रमाण है, बाद में भौमवंश. , नागवंश क्षत्रियों को सामने करने के बाद जब चौहान वंश चौबीस अलग- अलग वंशों में जाने लगा तब क्षत्रियों के बासठ अंशों का प्रमाण मिलता है
*ब्राह्मण गौ अबला नार चौथा बाल अनाथ , ते कारण युद्ध लड़े सच्चा क्षत्रिय जाण*
क्षत्रिय के शाब्दिक अपभ्रंश जो विभिन्न काल खण्डों में परिभाषित हुए क्षत्रिय राजन्य राजपुत्र/राजपुत
क्षत्रिय, क्षत्रिय वही है जिनके पास श्री राम व श्री कृष्ण से जुड़ी वंशावली आज भी उपलब्ध हो या उनके चारणो ही बहियों में लिखी पड़ी है यानी शुद्ध वैदिक क्षत्रिय वही जिनका वर्णन वेदों में भी मिलता है ओर उन वैदिक क्षत्रियो से उनका जुड़ाव व वंशावली उपलब्ध हो
*सूर्यवंशी क्षत्रियो की दस शाखायें:-*
१. कछवाह २. राठौड३. बडगूजर
४. सिकरवार५. सिसोदिया ६.गहलोत७.गौर ८.गहलबार
९.रेकबार१०.जुनने
*चंद्रवंशी क्षत्रियो की दस शाखायें*:-
१.जादौन २.भाटी ३.तोमर ४.चन्देल ५.छोंकर ६.होंड ७.पुण्डीर ८.कटैरिया ९.स्वांगवंश १०.बैस, दहिया
*अग्निवंशी क्षत्रियो की चार शाखायें:-*
१.चौहान २.सोलंकी ३.परिहार
४.परमार.
*ऋषिवंशी क्षत्रियो की बारह शाखायें:-*
१.सेंगर २.दीक्षित ३.दायमा ४.गौतम ५.अनवार (राजा जनक के वंशज) ६.विसेन ७.करछुल ८.हय ९.अबकू तबकू १०.कठोक्स ११.द्लेला १२.बुन्देला
*चौहान वंश क्षत्रियो की चौबीस शाखायें:-*
१.हाडा २.खींची ३.सोनीगारा
४.पाविया ५.पुरबिया ६.संचौरा
७.मेलवाल ८.भदौरिया ९.निर्वाण
१०.मलानी ११.धुरा १२.मडरेवा
१३.सनीखेची १४.वारेछा १५.पसेरिया १६.बालेछा
१७.रूसिया १८.चांदा १९.निकूम
२०.भावर २१.छछेरिया २२.उजवानिया २३.देवडा
२४.बनकर.
इसतरह क्षत्रिय वंश की 62 शाखायें / गौत्र है जिनकी पुनः उपगोत्र भी बाद में बनी है
*जय माँ भवानी*
सभी क्षत्रिय घाँची समाज के भाइयो आप भी जाने की क्षत्रिय कौन होता है क्षत्रिय क्या है ? हम क्षत्रिय घाँची क्यों लिखते है
क्षत्रिय का मतलब क्षति से जो समाज की रक्षा करे वो क्षत्रिय
*शौर्यंतेजा धृतिर्दाक्ष्यं युद्वे चाप्यपलायनम्।*
*दानमीश्वरभाववश्रच् क्षात्रं कर्म स्वभावजम्।।*
शूरवीरता, तेज, धैर्य, चतुरता और युद्ध में से न भागना, दान देना और स्वाभिमान - ये सब के सब ही क्षत्रिय के स्वाभाविक कर्म हैं ।।
*क्षत्रिय वंश की शाखाएं* (kshatriya branches)
*दस रवि से दस चन्द्र से, बारह ऋषिज प्रमाण*
*चार हुतासन सों भये , कुल छत्तिस वंश प्रमाण*
*भौमवंश से धाकरे टांक नाग उनमान*
*चौहानी चौबीस बंटि कुल बासठ वंश प्रमाण*.”
अर्थ:-दस सूर्य वंशीय क्षत्रिय, दस चन्द्र वंशीय, बारह ऋषि वंशी एवं चार अग्नि वंशीय कुल छत्तिस क्षत्रिय वंशों का प्रमाण है, बाद में भौमवंश. , नागवंश क्षत्रियों को सामने करने के बाद जब चौहान वंश चौबीस अलग- अलग वंशों में जाने लगा तब क्षत्रियों के बासठ अंशों का प्रमाण मिलता है
*ब्राह्मण गौ अबला नार चौथा बाल अनाथ , ते कारण युद्ध लड़े सच्चा क्षत्रिय जाण*
क्षत्रिय के शाब्दिक अपभ्रंश जो विभिन्न काल खण्डों में परिभाषित हुए क्षत्रिय राजन्य राजपुत्र/राजपुत
क्षत्रिय, क्षत्रिय वही है जिनके पास श्री राम व श्री कृष्ण से जुड़ी वंशावली आज भी उपलब्ध हो या उनके चारणो ही बहियों में लिखी पड़ी है यानी शुद्ध वैदिक क्षत्रिय वही जिनका वर्णन वेदों में भी मिलता है ओर उन वैदिक क्षत्रियो से उनका जुड़ाव व वंशावली उपलब्ध हो
*सूर्यवंशी क्षत्रियो की दस शाखायें:-*
१. कछवाह २. राठौड३. बडगूजर
४. सिकरवार५. सिसोदिया ६.गहलोत७.गौर ८.गहलबार
९.रेकबार१०.जुनने
*चंद्रवंशी क्षत्रियो की दस शाखायें*:-
१.जादौन २.भाटी ३.तोमर ४.चन्देल ५.छोंकर ६.होंड ७.पुण्डीर ८.कटैरिया ९.स्वांगवंश १०.बैस, दहिया
*अग्निवंशी क्षत्रियो की चार शाखायें:-*
१.चौहान २.सोलंकी ३.परिहार
४.परमार.
*ऋषिवंशी क्षत्रियो की बारह शाखायें:-*
१.सेंगर २.दीक्षित ३.दायमा ४.गौतम ५.अनवार (राजा जनक के वंशज) ६.विसेन ७.करछुल ८.हय ९.अबकू तबकू १०.कठोक्स ११.द्लेला १२.बुन्देला
*चौहान वंश क्षत्रियो की चौबीस शाखायें:-*
१.हाडा २.खींची ३.सोनीगारा
४.पाविया ५.पुरबिया ६.संचौरा
७.मेलवाल ८.भदौरिया ९.निर्वाण
१०.मलानी ११.धुरा १२.मडरेवा
१३.सनीखेची १४.वारेछा १५.पसेरिया १६.बालेछा
१७.रूसिया १८.चांदा १९.निकूम
२०.भावर २१.छछेरिया २२.उजवानिया २३.देवडा
२४.बनकर.
इसतरह क्षत्रिय वंश की 62 शाखायें / गौत्र है जिनकी पुनः उपगोत्र भी बाद में बनी है
*जय माँ भवानी*
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